हम लोग बचपन में जब स्कूल में पढ़ते थे, तो एक बहुत मस्त कविता थी, पर मुझे याद नहीं आ रही। तुम्हें याद है क्या?
पति- मेरी क्लास में तो दो थीं, एक कविता गुप्ता, एक कविता जोशी। दोनों ही एकदम मस्त थीं।
पति उस दिन से सीधा सो नहीं पा रहा, गद्य- पद्य, दोनों सूजे हुए हैं।
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पति और पत्नी में झगड़ा चल रहा था
पति – तुझसे शादी करने से अच्छा
तो मैं कुंवारा ही रहता
पत्नी – मैंने भी अपनी माँ
की बात मान ली होती तो अच्छा होता
पति – क्या कहती थी तेरी माँ
पत्नी – कहती थी
मत कर इस लड़के से शादी
पति – हे भगवान् मैं आज तक उस भली औरत
को बुरा समझता रहा जो मुझे बचाना चाह रही थी
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